इन्द्र जीमी जंभपर, वाढव सुअंभ पर,
रावण सदंभ पर, रघुकुल राज हैं।
पौन बारी बाह पर, संतु रतीनाह पर ,
ज्यो सहस्त्रबार पर, राम द्वीजराज हैं.।।
रावण सदंभ पर, रघुकुल राज हैं।
पौन बारी बाह पर, संतु रतीनाह पर ,
ज्यो सहस्त्रबार पर, राम द्वीजराज हैं.।।
हृदयात माउली रयतेस साउली,
गड़ कोट राउळी शिवशंकर हा.
मुक्तीची मंत्रणा युक्तिची यंत्रणा,
खल दुष्ट दुर्जना प्रलयनकार हा.
संतास रक्षितो शत्रुंसी खंदतो,
भावंड भावना संस्थापितो.
नैसा युगे युगे स्मरणीय सर्वदा,
माता पिता सखा शिवभुप तो.
दावा द्रुमदंड पर, चीता मृगझुंड पर,
भूषण बितुंड पर, जैसे मृगराज हैं।
तेज तम अंस पर, कृष्ण जीमी कंस पर,
त्यों म्लेच्चवंस पर, शेर शिवराज हैं.।।
जय भवानी, जय भवानी
जय शिवाजी, जय शिवाजी ।।
जय भवानी, जय भवानी
जय शिवाजी, जय शिवाजी ।।
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